Monday, August 11, 2008

अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

वृक्ष हों भले खड़े,

हो घने, हो बड़े,

एक पत्र-छॉंह भी मॉंग मत, मॉंग मत, मॉंग मत!

अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

तू न थकेगा कभी!

तू न थमेगा कभी!

तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!

ये महान दृश्य है,

चल रहा मनुष्य है,

अश्रु, श्वेद, रक्त सेलथ पथ, लथ पथ, लथ पथ

अगनीपथ! अगनीपथ! अगनीपथ!

--हरिवंश राय बच्चन

 Subscribe in a reader

0 Comments:

Post a Comment

<< Home